दुनिया के दुसरे बाज़ारों (मार्केट्स) की तुलना में भारत का ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग उद्योग अभी भी अपनी शुरूआती स्टेज (इन्फेन्सी) में है.
मैं 2017 से मुंबई में Shure (श्योर) के लिए काम कर रहा हूँ और मैंने ख़ुद व्यक्तिगत तौर पर (फ़र्स्ट हैण्ड) ये देखा है कि कॉर्पोरेट कंपनियां, सरकारी विभाग (डिपार्टमेंट्स) और छोटे व्यवसाय (बिज़नेस) किस स्तर पर वायरलेस ऑडियो सॉल्युशन्स का इस्तेमाल करते हैं. मेरा रोल ज़्यादातर हमारे ग्राहकों को शिक्षित (एजुकेट) करने पर केंद्रित (फोकस्ड) है ताकि वो समझ पाएं कि एक अच्छा ऑडियो सॉल्युशन उनके व्यावसायिक उद्देश्यों (बिज़नेस ऑब्जेक्टिव्स) को पाने में कैसे मदद कर सकता है।मतलब कि इस हमेशा से विकसित होते (इवॉल्विंग) बाज़ार में ढेर सारे अवसर और चुनौतियाँ हैं.
भारत में वायरलेस ऑडियो के ग्राहक
भारत में वायरलेस और ऑडियो सॉल्यूशंस से जुड़े, विभिन्न स्तरों (डिफ्रेंट लेवल्स) के अनुभव (एक्सपीरिएंस) और ज्ञान (नॉलेज) रखने वाले दो ही प्रकार के ग्राहक (कस्टमर्स) हैं, जो इस प्रकार हैं :
बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ (मल्टीनेशनल्स)
प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कंपनियाँ जो भारत में स्थित हैं जैसे कि एचएसबीसी या अमेज़ॅन, इनको भी वायरलेस ऑडियो टेक्नोलॉजी से कुछ समस्याएँ हैं. वे या तो अपने पश्चिमी समकक्षों (वेस्टर्न कॉउंटरपार्ट्स) के अनुभव (एक्सपीरिएंस) का फ़ायदा (बेनिफिट) लेते हैं या उनके पास समर्पित (डेडिकेटेड) एवी (ऑडियो विज़ुअल) टीम्स हैं जो उनके अमेरिका या यूके के सहयोगियों (कलीग्स) के तरीकों को अपनाकर (सिमिलर मैथड्स) अपने सॉल्यूशंस इन्स्टॉल करतीं हैं.
स्थानीय कंपनियाँ (लोकल कंपनियाँ)
छोटे स्थानीय व्यवसायों (लोकल बिज़नेस) के पास ऑडियो के बारे में कम अनुभव (एक्सपीरिएंस) और ज्ञान (नॉलेज) होता है, इसलिए उन्हें वायरलेस सॉल्यूशंस अपनाने के लिए ज़्यादा मदद (स्पोर्ट) चाहिए होती है.
क्योंकि ज़्यादातर कंपनियों के पास एक समर्पित (डेडिकेटेड) एवी टीम नहीं होती, वे अक्सर ऐसे ऑडियो सिस्टम का चयन कर बैठते हैं जो उनके ऑफिस वातावरण के लिए ठीक नहीं होता.
हमारा रोल केवल ऑडियो सॉल्यूशंस के महत्त्व बताना और उत्पादों (प्रोडक्ट्स) के बारे में सलाह देना नहीं है, बल्कि वायरलेस और सर्वोत्तम कार्य-प्रणाली (बैस्ट प्रैक्टिस) के बारे में प्रोफ़ेशनल्स को शिक्षित (एजुकेट) करना है.
भारत में वायरलेस ऑडियो को अपनाने में चुनौतियां
भारत में मैंने अपने अनुभवों से कई गलत धारणाएँ या गलतियाँ देखी हैं.
सुरक्षा
वायरलेस ऑडियो को अपनाने वाले कई आईटी प्रोफेशनल्स यह नहीं समझ पाते हैं कि एनालॉग के मुक़ाबले डिजिटल सॉल्यूशंस ज़्यादा सुरक्षा देते हैं. जब आप गोपनीय जानकारी (कॉन्फिडेंशियल इन्फॉर्मेशन) के लिए काम रहे हों तो सुरक्षा का पहलु प्राथमिक होना चाहिए. यदि आपके वीडियो कॉन्फ्रेंस में कोई संवेदनशील जानकारी (सेंसिटिव डीटेल्स) की चर्चा होने वाली है, तो आप यह जोख़िम नहीं उठाना चाहेंगे कि वो जानकारी आपके ऑर्गेनाइज़ेशन के बाहर किसी के भी हाथ लगे.
इंस्टालेशन
मल्टीनेशनल कंपनियों में, वायरलेस सॉल्यूशंस अक्सर सफलतापूर्वक इस्तेमाल किए जाते हैं, जिसका श्रेय समर्पित (डेडिकेटेड) ऑडियो प्रोफेशनल्स या उन टीमों को जाता है जो अपने आंतरिक (इंटरनल) नेटवर्क के ज़रिये अन्य क्षेत्रों को भी लाभ पहुंचा रहें हैं. लेकिन भारत में कई स्थानीय संगठनों (लोकल ऑर्गेनाइज़ेशन्स) के पास इसे हर बार सही ढंग से इस्तेमाल करने का उचित अनुभव नहीं है.
मैंने हाल ही में एक कंपनी का दौरा किया, जिसने एक नए वायरलेस ऑडियो सॉल्यूशन को फिट करने में काफी समय और कोशिश लगाई लेकिन इंस्टालेशन सही नहीं था. इसका हल बताना मेरे रोल का एक दिलचस्प हिस्सा है, लेकिन भारत के ईकोसिस्टम को अपनी समय और लागतों को बचाने के लिए, निश्चित रूप से और बेहतर ढंग से यह समझने की ज़रूरत है कि वायरलेस ऑडियो काम कैसे करता है.
रीचार्ज करने की क्षमता (रीचार्जेबिलिटी)
सभी एंड-यूज़र्स को वायरलेस लाइफ़ सॉल्यूशंस इस्तेमाल करते हुए बैटरी लाइफ और चार्जिंग साइकल जैसी बातों (इशूज़) का ध्यान रखना चाहिए. इन उत्पादों (प्रोडक्ट्स) की देख-रेख करते रहने की आवश्यकता होती है, ताकि जब भी इनकी ज़रूरत पड़े, तो ये इस्तेमाल करने के लिए उपलब्ध हों, यह एक ऐसी बात है जिसका ख़्याल अक्सर तब आता है जब बहुत देर हो चुकी होती है.
वायरलेस ऑडियो इम्प्लीमेंटेशन से जुड़ीं सामान्य गलतियाँ
इस बाज़ार में वायरलेस सॉल्यूशंस की बहुत ही मूल बातों में ही काफी सारी सामान्य गलतियाँ मौजूद हैं। जिनमें से कुछ ये रहीं:
एंटीना प्लेसमेंट
कई एन्ड-यूज़र्स वायरलेस माइक्रोफोन प्रणाली (सिस्टम सेट-अप) में एंटीना के महत्व (इम्पोर्टेंस) को नहीं समझते हैं. इसलिए उसे अक्सर छत के ऊपर या अन्य सतहों के पीछे रखा / छुपा दिया जाता है. ऐसा करने से मुश्किलें पैदा होती हैं जिसके कारण वे इसका इस्तेमाल अच्छे से नहीं कर पाते और फिर आप को सिग्नल ड्रॉप होने की समस्या होती हैं, इसलिए एंटीना को कभी छुपी हुई जगह पर नहीं लगाया जाता.
ग़लत इन्स्टॉलेशन
वायरलेस माइक्रोफ़ोन सिस्टम के एंटीना का वितरण/इन्स्टॉलेशन अक्सर गलत होता है. हमें हमारे ग्राहकों से ऑडियो में ड्रॉप्स होने के बारे में कई कॉल्स आते हैं. जब हम जांच करने जाते हैं, तो चाहे बोर्डरूम में हो या ट्रेनिंग रूम, सिस्टम आमतौर पर ग़लत ही इन्सटाल्ड मिलता है. इन अनावश्यक कॉल आउट्स से बचने के लिए लोगों को इन सॉल्यूशंस को सही तरीक़े से इनस्टॉल करने जैसी कुछ मूल (बेसिक) बातों पर ज़्यादा जानकारी (एजुकेशन) देने की ज़रूरत है.
सिस्टम इंटीग्रेटर्स कम क़्वालीफाइड हैं
जब बात सिस्टम इंटीग्रेटर चुनने की होती है तो कई स्थानीय (लोकल) कंपनियां क़ीमत को लेकर संवेदनशील (प्राइस सेंसिटिव) हो जाती हैं, और अक्सर सबसे कम लागत के आधार पर सर्विस का चुनाव करती हैं. हम एंड-यूज़र्स और ग्राहकों से आग्रह करते हैं कि चुनाव से पहले तगड़ा अध्ध्यन करें और जब भी मुमकिन हो तो सिर्फ सर्टिफाइड इंजीनियर्स के साथ ही काम करें.
एनालॉग बनाम डिजिटल सॉल्यूशंस
कई एन्ड यूज़र्स को यह पता ही नहीं होता कि, एनालॉग और डिजिटल वायरलेस ऑडियो सॉल्यूशंस में फ़र्क़ होता है. कई मामलों में, एंड-यूजर्स को यह भी पता नहीं होता हैं कि वे उपयोग कौन सा कर रहे हैं. वे सिर्फ इतना जानते हैं कि उनका सॉल्यूशन वायरलेस है.
एनालॉग
एनालॉग वायरलेस सॉल्यूशन्स छोटे वर्क एन्वायरॉनमेंट या छोटे-व-मध्यम उद्यमों (स्माल-टू-मीडियम एंटरप्राइज़ेस) के लिए ज़्यादा अच्छे से काम करते हैं. यदि आपकी मीटिंग में केवल कुछ ही माइक्रोफोन्स और ऑडियो चैनल्स इस्तेमाल किये जाते हैं, जहाँ अगोपनीय (नॉन-कॉन्फिडेंशियल) जानकारी पर चर्चा की जाती है, तो इसके लिए एनालॉग बहुत असरदार है.
डिजिटल
यदि आपके काम में सुरक्षा या एन्क्रिप्शन की ज़रूरत है, तो आपको एक डिजिटल वायरलेस सॉल्यूशन चुनना होगा. ज़्यादा माइक्रोफोन चैनल्स होने पर, डिजिटल आपके नेटवर्क की बैंडविड्थ को बढ़ा (ऑप्टिमाइज़्ड कर) देता है. जिससे बेहतर ऑडियो क़्वालिटी और स्पीच की बेहतर समझ मिलती है, खासकर यदि आपकी मीटिंग में कई लोग/पार्टिसिपेंट्स शामिल हैं तो.
निष्कर्ष (कन्क्लूज़न्स)
कई बार, भारत में ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग की ज़िम्मेदारी आईटी टीम्स की होती है, पर इनमें से अधिकांश प्रोफेशनल्स अनुभवहीन (इनएक्सपीरिएंस्ड) होते हैं और वायरलेस ऑडियो सॉल्यूशन्स पर काम करने को लेकर उलझे हुए रहते हैं.
हम ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग और आईटी के बीच स्थित जानकारी के अभाव (नॉलेज गैप) को भरने का काम करते हैं. प्रगतिशील सोच (फॉरवर्ड थिंकिंग) रखने वाली कंपनियाँ और ऑर्गेनाइज़ेशन्स इन सॉल्यूशन्स के बारे में बेहतर शिक्षा (एजुकेशन) मौजूद होने की ज़रूरत को समझती हैं. लेकिन हम इस मानसिकता (माइंडसेट) को भारत और दुसरे देशों के सभी स्तरों (लेवल्स) के कारोबार में शामिल करना चाहते हैं।
देवराज पाणिकर श्योर इनकॉरपोरेटेड में मार्केट डेवलपमेंट मैनेजर हैं.
भारत में Shure (श्योर) के बारे में ज़्यादा जानकारी पाने के लिए shure.eu/support/distributors/india पर जाएँ.
जानिये और भी ज़्यादा Shure (श्योर) के वायरलेस ऑडियो सिस्टम के बारे में.
भारत में ऑडियो नेटवर्किंग
भारत में कई कंपनियों और संगठनों ने ऑडियो नेटवर्किंग को अपनाया है। बाज़ार शायद अन्य दूसरे विकसित बाज़ारों (डेवलप्ड मार्केट्स) की तुलना में अपनी शुरूआती स्टेज में है लेकिन बदलाव तेज़ी से हो रहा है।
भारत में मौजूदा ऑफ़िस इन्फ्रास्ट्रक्चर/सिनेरिओ में नए ऑडियो सॉलूशन्स कैसे लागू (इम्प्लीमेंट) करें
भारत में मौजूदा बुनियादी सुविधाओं (इंफ्रास्ट्रक्चर्स) के लिए ऑडियो सलूशन्स लागू करने के बारे में कई चुनौतियाँ नज़र आती हैं। कुछ ज़रूरी बातों पर ध्यान दिया जा सकता है इस तरह: